आज हम जिस विषय पर बात करनें जा रहे है सुनने में तो किसी दार्शिनिक (philoshopy) से कम नहीं लगता पर क्या ? वाकये में इसके पीछे के छिपा हुआ ज्ञान कोई अनूठापन ला देगा हमारी जिंदगी में ? देखते है
आज कल के दौर में सोच आपकी जिंदगी बदलने में बोहोत बड़ा किरदार अदा करती है
जैसे आप # क्या, कब ,क्यों, कहा,कैसे, किस लिए ,किस परिस्थिति, में
क्या सोच रखते है और अपनी सोच को सच मे कैसे बदलते है सब आपकी सोच पे है आप अपने सपनो से कितना जुड़ाव और कितना आप मेहनत करते है !
सिद्धांत वादी के साथ साथ आप कर्मवादी भी है तो आपकी सोच बहोत अछि और दूसरों को ज्ञान देने वाली होगी और सोच को सिर्फ में सोच में रखना भी गलत बात है जीवन मे उसके सिद्धांतो पे चलना जरूरी है तभी आपकी सोच सफल मानी जाती है वार्ना सोच आपके साथ ही रह जायेगी और सोच और सच किसी न किसी हद तक एक दूसरे से पूर्ण रूप से संबंध रखते है!!
सच
सच को जानने के लिए सबसे पहले खुद को जानना होगा और दोस्तो सच सोच से जुड़ा हुआ है जब तक दिमाग मे सोच नही आएगी उसे सच करने की बेचैनी नही आएगी तब तक सच होने सम्भव नही !
सच हमेशा साफ होता है आप दूसरों से झूठ बोल सकते हो किसी कार्य को लेकर परन्तु खुद से कभी आप झूट नही बोल सकते !!
जैसे सूरज का निकलना सत्य है, दिन से रात होना सच है, ऐसे ही एक न एक दिन सच सामने आके खड़ा हो ही जाता है
सच शानदार तब लगेगा जब आपकी सोच सही और साफ होगी क्योंकि ये मान विचलित रहता है बिना सच के तो जीवन मे तो कितने सच जानने अभी बाकी है ? खुद से पूछो
.
सच हमेशा रहेगा बस सोच को कब तक जिंदा रखा जा सकता है या उसे अमर बनाया जा सकता है ये सब हमारी सोच पर निर्भर करता है !!!
अंतर इतना ही है सोच जितनी बड़ी होगी वास्तिविकता उतनी सच होगी।।।
और आखिर में इतना जरूर ध्यान रखना सच दुख जरूर दे सकता है पर धोखा कभी नही दे सकता !!
~अनुज शर्मा
सोच
जैसे आप # क्या, कब ,क्यों, कहा,कैसे, किस लिए ,किस परिस्थिति, में
क्या सोच रखते है और अपनी सोच को सच मे कैसे बदलते है सब आपकी सोच पे है आप अपने सपनो से कितना जुड़ाव और कितना आप मेहनत करते है !
सिद्धांत वादी के साथ साथ आप कर्मवादी भी है तो आपकी सोच बहोत अछि और दूसरों को ज्ञान देने वाली होगी और सोच को सिर्फ में सोच में रखना भी गलत बात है जीवन मे उसके सिद्धांतो पे चलना जरूरी है तभी आपकी सोच सफल मानी जाती है वार्ना सोच आपके साथ ही रह जायेगी और सोच और सच किसी न किसी हद तक एक दूसरे से पूर्ण रूप से संबंध रखते है!!
सच
सच को जानने के लिए सबसे पहले खुद को जानना होगा और दोस्तो सच सोच से जुड़ा हुआ है जब तक दिमाग मे सोच नही आएगी उसे सच करने की बेचैनी नही आएगी तब तक सच होने सम्भव नही !
सच हमेशा साफ होता है आप दूसरों से झूठ बोल सकते हो किसी कार्य को लेकर परन्तु खुद से कभी आप झूट नही बोल सकते !!
जैसे सूरज का निकलना सत्य है, दिन से रात होना सच है, ऐसे ही एक न एक दिन सच सामने आके खड़ा हो ही जाता है
सच शानदार तब लगेगा जब आपकी सोच सही और साफ होगी क्योंकि ये मान विचलित रहता है बिना सच के तो जीवन मे तो कितने सच जानने अभी बाकी है ? खुद से पूछो
.
सच हमेशा रहेगा बस सोच को कब तक जिंदा रखा जा सकता है या उसे अमर बनाया जा सकता है ये सब हमारी सोच पर निर्भर करता है !!!
अंतर इतना ही है सोच जितनी बड़ी होगी वास्तिविकता उतनी सच होगी।।।
और आखिर में इतना जरूर ध्यान रखना सच दुख जरूर दे सकता है पर धोखा कभी नही दे सकता !!
~अनुज शर्मा
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