Operating
System के
बिना कम्प्युटर एक निर्जीव वस्तु होता है. क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम बेजान
हार्डवेयर को काम करने लायक बनाता है और हार्डवेयर के ऊपर अन्य सॉफ्टवेयर
प्रोग्राम्स को भी चलने लायक सुविधा प्रदान करता हैं.
Operating
System की आवश्यकता/कार्य
Operating
System संपूर्ण
कम्प्युटर का नियंत्रण एवं संचालन करता है. इसी के द्वारा कम्प्युपुटर का प्रबंधन
किया जाता है. Operating System उपयोगकर्ता को कम्प्युटर पर आसानी से कार्य
करने कि योग्यता देता है. Operating System और कम्प्युटर के संबंधो को एक आरेख चित्र ( Flow
Chart) के
माध्यम से समझा जा सकता है.
ऑपरेटिंग
सिस्टम की संरचना
Operating System के
कुछ प्रमुख कार्य नीचे है.
Operating System कम्प्युटर को ठीक प्रकार से उपयोग करने लायक
सरल बनाता है.
Operating System उपयोगकर्ता से Hardware की भारी भरकम सूचनाओं
को उपयोगकर्ता से छिपा लेता है , इसलिए उपयोगकर्ता का ढेर सारी सूचनाओं से
सामना नही होता है.
Operating System उपयोगकर्ता को एक सरल माध्यम उपलब्ध कराता है
इसलिए वह कम्प्युटर पर आसानी से कार्य कर पाता है.
Operating System उपयोगकर्ता एवं Hardware
के बीच मध्यस्थ
का कार्य करता है , ताकि उपयोगकर्ता कम्प्युटर और उसके संसाधनों का
उपयोग सरलता से कर सके.
कम्प्युटर
और इसके संसाधनों का प्रबंधन करना Operating System का एक जरूरी कार्य है.
Operating
System के विभिन्न प्रकार
Operating
System हमेशा
से ही कम्प्युटर के साथ रहे है. जैसे-जैसे कम्प्युटर ने विकास किया वैसे ही Operating
System भी
अपने आप को विकसित करते गए. Operating System को कई श्रेणीयों में
बाँटा गया है. लेकिन , हम यहाँ Operating System के कुछ प्रमुख प्रकारों
को जानेंगे.
1. Multi-user Operating System
यह Operating
System एक
से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है. इस Operating
System पर
एक समय में सैकड़ों उपयोगकर्ता अपना-अपना कार्य कर सकते है.
2. Single-user Operating System
इसके विपरीत Single-user
Operating System एक
समय में सिर्फ एक ही उपयोगकर्ता को कार्य करने देता है. इस Operating
System पर
एक समय में कई उपयोगकर्ता कार्य नही कर सकते है.
3. Multitasking Operating System
यह Operating
System उपयोगकर्ता
को एक साथ कई अलग-अलग प्रोग्राम्स को चलाने की सुविधा देता है. इस Operating
System पर
आप एक समय में E-mail भी लिख सकते है और साथ ही अपने मित्रों से Chat भी कर सकते है.
4. Multi Processing Operating System
यह Operating
System एक
प्रोग्राम को एक से अधिक CPU पर चलाने की सुविधा देता है.
5. Multi Threading Operating System
यह Operating
System एक
प्रोग्राम के विभिन्न भागों को एक साथ चलाने देता है.
6. Real Time Operating System
Real
Time Operating System उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए Input पर तुरंत प्रक्रिया
करता है. Windows Operating System इसका सबसे अच्छा उदाहरण
है.
Operating
System कम्प्युटर
के लिए बहुत ही आवश्यक प्रोग्राम है. इसके बिना कम्प्युटर एक निर्जीव वस्तु मात्र
है ,
यह कहना गलत नही
है. Operating
System के
बिना कम्प्युटर को उपयोग करना बहुत ही कठिन कार्य साबित हो सकता है. Operating
System और
कम्प्युटर के संबंधो को समझने के लिए ऊपर दिए गए आरेख को समझ सकते है.
ऑपरेटिंग सिस्टम
की विशेषताएँ
Primary Memory को Track करता है. जैसे , कहाँ इस्तेमाल हो रही
है ?
कितनी मैमोरी
इस्तेमाल हो रही है ? और मांगने पर मैमोरी उपलब्ध करवाता है.
Processor का ध्यान रखता है अर्थात Manage करता हैं.
कम्प्युटर
से जुडे हुए सभी डिवाईसों को मैंनेज करता हैं.
कमप्युटर
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को मैंनेज करता हैं.
पासवर्ड
तथा अन्य तकनीकों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करता हैं.
कम्प्युटर
द्वारा किये जाने वाले कार्यों का ध्यान रखता है और उनका रिकॉर्ड रखता हैं.
Errors और खतरों से अवगत कराता हैं.
User और Computer Programs के बीच समन्वय बनाता हैं.
प्रमुख ऑपरेटिंग
सिस्टम के नाम
Windows OS
Mac OS
Linux OS
Ubuntu
Android OS
iOS
MS-DOS
Symbian OS
विंडोज़ क्या है - What is Windows
Window
शब्द आपके कंप्यूटर में लाखों बार
सुना होता है कि Windows Corrupt गयी है Window Install करनी है या फिर Windows Repair कैसे
करें ,
Windows की सीडी कहां मिलेगी तो आखिर क्या
है विंडोज़ ( Windows)
और आपके कंप्यूटर में क्या काम करती
है आईये जानते हैं विंडोज क्या है - What is Windows
विंडोज क्या है - What is
Windows
विंडोज़ ( Windows) एक सिस्टम सॉफ्टवेयर ( System Software) होता है जो विंडोज़ ( Windows) शब्द का
प्रयोग पहली बार माइक्रोसॉफ्ट के GUI ऑपरेटिंग सिस्टम में किया गया था यह भी कह सकते हैं कि माइक्रोसॉफ्ट ने अपने
पहले Graphical
user interface operating system का
नाम विंडोज़ ( Windows)
रखा था
Windows
को माइक्रोसॉफ्ट ने बनाया था इस वजह से
इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम Microsoft Windows बड़ा
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज वर्तमान में सबसे कॉमन और ज्यादा प्रयोग किए जाने वाला
ऑपरेटिंग सिस्टम है यह पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम भी
है ऐसा मानना है कि दुनिया भर के 90% कंप्यूटर में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम ही काम
करता है
Windows
का अर्थ होता है खिड़कियां वह इसलिए
क्योंकि इस ऑपरेटिंग सिस्टम के ग्राफिक चौकोर और आयताकार होते हैं बिल्कुल किसी
खिड़की की तरह और जब आप उन्हें मिनीमाइज और मेक्सिमाइज करते हैं तो बिल्कुल किसी
खिड़की की तरह ही खुलते हैं और बंद होते हैं इसलिए इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम Windows रखा गया माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बिल गेट्स ने Windows के विकास में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसे
दुनिया का सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया है
विंडोज का इतिहास - History
of Windows
माइक्रोसॉफ्ट ने 1981 में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआई) पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम
पर काम करना शुरू किया और 10 नवंबर , 1983 को विडोंज का पहला वर्शन 1.0, पब्लिक के लिये जारी कर दिया इसके बाद 1987 में विडोंज 2.0 और 1990 में विडोंज 3.0 को लांच किया गया इसके बाद
विडोंज के कई वर्शन लांच किये जैसे
विडोंज 95, विडोंज 98, विडोंज NT और विडोंज XP गये इसमें सबसे ज्यादा
लोकप्रिय वर्शन रहा विण्डोज एक्सपी
माइक्रोसॉफ्ट ने विण्डोज एक्सपी
को अक्टूबर 2001 में जारी किया था , जिसने आधुनिक कम्प्यूटरीकरण
की काया ही बदल दी , इसे चलाना बहुत आसान था , और यह सभी प्रकार के हार्डवेयर और साफ्टवेयर के साथ आसानी से
काम करती थी ,
विण्डोज एक्सी की इन्हीं खूबियों की
वजह से लोगों दिलों में एक अलग स्थान बनाये हुए हैं और आज भी माइक्रोसाफ्ट का सबसे
ज्यादा प्रचलित आॅपरेटिंग सिस्टम है विंडोज एक्सपी के बाद केवल विंडोज 7 और विंडोज 10 ही सफल रहे है , विंडोज विस्टा , विंडोज 8 एवं विंडोज 8.1 को आशा अनुरूप सफलता नहीं मिली
विंडोज 10, जो कि विंडोज का नवीनतम संस्करण है , माइक्रोसॉफ्ट द्वारा 2015 में जारी किया गया था और घोषणा
भी की है इसके बाद विंडोज को और कोई वर्शन लांच नहीं किया जायेगा यानि विंडोज 10 विंडोज का आखिरी वर्शन है
विंडोज की विशेषता - Feature
of Windows
Microsoft
Windows के साथ काम करना बहुत ही आसान
है इसके साथ कंप्यूटर के दैनिक कार्य करना जैसे प्रोग्राम चलाना फाइल ओपन करना या
किसी कमांड को रन कराना बहुत ही आसान है जब आप अपने कंप्यूटर का पावर बटन ऑन करते
हैं तो बूटिंग प्रक्रिया के साथ में विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे पहले PC में लोड होता है और कुछ ही समय में यह आपकी कंप्यूटर का सारा
कंट्रोल अपने हाथ में ले लेता है जब आप किसी भी सॉफ्टवेयर में जैसे कि
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में कोई फाइल बनाते हैं और उसे सेव करने के लिए Ctrl+S का बटन दबाते हैं तो Windows ही आपको
बताता है कि वह फाइल आपको किस डायरेक्टरी में यह किस फोल्डर में सेव करनी है
यह आपको अपने कंप्यूटर में गेम
खेलने की भी अनुमति देता है साथ ही इंटरनेट चलाना भी बहुत आसान बनाता है आप अपने
कंप्यूटर को किसी भी तरह से विंडो की मदद से एक कस्टमाइज कर सकते हैं आप अपने
मनपसंद कॉल कर सकते हैं आप कंप्यूटर में मीडिया प्लेयर इनस्टॉल कर सकते हैं आप
कंप्यूटर में कोई भी म्यूजिक सुन सकते हैं यह सभी प्रकार के हार्डवेयर को कंप्यूटर
में सपोर्ट करता है
डॉस ( DOS) क्या है ?
डॉस ( DOS) एक ऑपरेटिंग
सिस्टम है । किसी कम्प्यूटर सिस्टम के सरल कार्यों को करने के लिए यह एक
महत्त्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । इसका पूरा नाम डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम ( Disk Operating
System) है । यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपभोक्त्ता और कम्प्यूटर
सिस्टम के बीच माध्यम का काम करता है ।
इस ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिये कम्प्यूटर को चलाने से
पहले ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड करना आवश्यक है । डॉस हार्डवेयर और
सॉफ्टवेयर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है । यह उन कमाण्डों को परिवर्तित करता
है जो की-बोर्ड की मदद से ऐसी भाषा डाली जाती हैं जिन्हें कम्प्यूटर आसानी से समझ
सके । इसे डिस्क पर स्टोर किया जाता है और यह आपकी हार्ड डिस्क से में मेमोरी में
लोड किया जाता है ।
आप विशेष कमाण्डों के प्रयोग से निम्नलिखित कार्यों
को कर सकते हैं :
फाइल को बनाना या मिटाना और फाइल के नामों को बदलना ।
आप स्टोर की गई फाइलों की सूचि देख सकते हैं ।
आप हार्डवेयर को दो भागों में बाँट सकते हो ।
नई फ्लॉपी डिस्क को फॉरमेट कर सकते हो ।
आप हार्ड डिस्क से फ्लॉपी में और फ्लॉपी डिस्क से
हार्ड डिस्क में बैकअप ले सकते हैं ।
वे कार्य जो डॉस स्वतः करता है :
यह हार्डवेयर जैसे की सी. पी. यू. और मेमोरी को
नियंत्रण करता है ।
यह वायरस को ढूँढ निकालता है ।
यह विभिन्न प्रोग्रोमों में मेमोरी का आबंटन करता है
।
यह कम्प्यूटर से जुड़े अन्य उपकरणों को नियंत्रित करता
है ।
यह की-बोर्ड से सूचनाओं को लेता है और उन्हें मॉनीटर
पर दिखाता है ।
Character
User Interface CUI क्या है | What is CUI Character User Interface in
Hindi !!
CUI का फुल फॉर्म
“ Character User Interface ” होता है
जिसमे Character
को keyboard
द्वारा
टाइप किया जाता है. इस सिद्धांत पे काम करने के लिए user का तकनीकी
रूप से दक्ष होना आवश्यक है. इसमें जिन software का प्रयोग
किया जाता है उनके लिए Command और उसके syntax
याद
रखना जरूरी होता है. क्यूंकि इसमें computer को मिलने
वाले निर्देश Command द्वारा दिए जाते हैं
Graphical
User Interface GUI क्या है | What is GUI Graphical user interface in
Hindi !!
GUI
का
फुल फॉर्म “ Graphical user interface” होता है. ये
एक प्रकार का user interface है जिसमें user graphics के द्वारा application
के
साथ interact
करता
है जैसे कि: जैसे – Icon, button, window आदि के जरिये. GUI ने user के लिए एक
उच्च interface
का
निर्माण किया है जिसके द्वारा ही आज के समय में user, computer को आसानी से
चला पाता है. graphics का अर्थ यहां Icon, button, window आदि है
जिन्हे user
देखते
ही पहचान जाता है और अपने जरूरत के अनुसार माउस का प्रयोग करके Icon,
button, window पे क्लिक करता है और कंप्यूटर को आसानी से चलाता है.
Difference
between CUI and GUI in Hindi | Character User Interface और Graphical User Interface में क्या अंतर है !!
# CUI का फुल फॉर्म
character
user interface और GUI का फुल फॉर्म
graphical
user interface है.
#
Character user interface एक यूजर इंटरफ़ेस है जिसमे एप्लीकेशन से interact
करने
के लिए command
का
प्रयोग करना पड़ता है जबकि graphical user interface भी एक यूजर
इंटरफ़ेस है जिसमे यूजर एप्लीकेशन से ग्राफ़िक्स द्वारा interact
करता
है.
# CUI में एक समय में एक ही टास्क परफॉर्म
किया जा सकता है जबकि GUI में एक समय
में एक से अधिक टास्क परफॉर्म किये जा सकते हैं.
# CUI
में
कमांड का प्रयोग करके applications का प्रयोग किया जाता है जबकि GUI में माउस के
जरिये applications
पे
क्लिक कर के applications का प्रयोग किया जा सकता है.
# GUI और CUI दोनों का प्रयोग कंप्यूटर से कनेक्ट
होने के लिए किया जाता है.
#
GUI का
उदाहरण: Linux,
Windows है और CUI का उदाहरण: DOS है.
# CUI
के
लिए कीबोर्ड होना आवश्यक है क्यूंकि इनपुट कीबोर्ड द्वारा देना होता है जबकि GUI में कीबोर्ड
से ज्यादा माउस की आवश्यकता होती है.
# GUI,
CUI की
अपेक्षा काफी सरल है.
# सभी मॉडर्न computer
GUI का
प्रयोग करते हैं CUI की जगह.
कंप्यूटर के कंट्रोल पैनल की पूरी जानकारी
हमारे कंप्यूटर या
लैपटॉप में कंट्रोल पैनल बहुत ही बड़े काम की चीज है , इसकी
मदद से ही आप अपने कंप्यूटर की सेटिंग कर सकते है ,कुछ
को तो ये भी नहीं पता कि कंट्रोल पैनल में किस किस की सेटिंग है या कभी उन्हें
जरूरत ही नहीं पड़ी कंट्रोल पैनल में जाने की , लेकिन
कुछ खास बात होती कंट्रोल पैनल में जो शायद आप नहीं जानते होंगे .
आपके पूरी कंप्यूटर की Configuration या Specification
की जानकारी आपके कंट्रोल पैनल में होती है ,
आपके कंप्यूटर में कौन सी विंडो है कोन सा वर्शन ,कितनी स्पीड ये सब जानकारी कंट्रोल पैनल में ही होती है .
कंप्यूटर के कंट्रोल पैनल की पूरी जानकारी
जैसा की फोटो में आप
देख सकते है कि कंट्रोल पैनल में बहुत सारे ऑप्शन है .लेकिन इनमें से जो ज्यादा
इस्तेमाल में आते है वो मैं बता देता हु
Device Manager
डिवाइस मैनेजर का
इस्तेमाल हमारे कंप्यूटर के Internal हार्डवेयर और
सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़ने के लिए होता है जैसे कि अगर आप अपने कंप्यूटर में
माउस लगाओगे तो वह माउस हार्डवेयर है और आपकी जो विंडो पर उसकी Functionality
होगी वह एक सॉफ्टवेयर की मदद से होगी तो इन दोनों
को आपस में जोड़ने के लिए डिवाइस मैनेजर काम करता है डिवाइस मैनेजर की मदद से आप
देख सकते हैं कि आपके कंप्यूटर से जो भी डिवाइस Connect हुई
है वह सही तरह से Connect हुई है और सही तरह
से काम कर रही है या नहीं और डिवाइस मैनेजर की मदद से आप उस हार्डवेयर और
सॉफ्टवेयर के कनेक्शन को चेक कर सकते हैं.
Devices And Printer
डिवाइस मैनेजर की
तरह यह भी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़ने के लिए इस्तेमाल होता है
डिवाइस मेजर में आप अपने कंप्यूटर के इंटरनल हार्ड वेयर को सॉफ्टवेयर से Connect
कर सकते हैं या उसमें देख सकते हैं इसी तरह इसमें
आप जो एक्सटर्नल हार्ड वेयर है जैसे कि एक्सटर्नल कीबोर्ड एक्सटर्नल माउस ,Printer,
Scanner इत्यादि को आप कनेक्ट करते समय यहां पर देख सकते
हैं और उनकी सेटिंग यहां से कर सकते हैं अगर किसी हार्डवेयर में दिक्कत आ रही है
तो यहां से आप उसकी सेटिंग कर सकते हैं और उसे सही तरह से Connect कर सकते हैं.
जैसा कि आप ऊपर फोटो
में देख सकते हैं एक ऑडियो ब्लूटूथ डिवाइस कनेक्ट है और एक मोबाइल का ब्लूटूथ
कनेक्ट है तो अगर आपने पहले कोई डिवाइस कनेक्ट की है तो यहां पर आपको वह दिखाई
देगी .
Display
डिस्प्ले की सेटिंग
में आप अपने कंप्यूटर की डिस्प्ले का साइज कम या ज्यादा कर सकते हैं उसको रोटेट ↵ कर सकते हैं और अगर आप अपने डिस्प्ले को जूम करके देखना चाहो तो आप Magnifying
की मदद से अपनी डिस्प्ले को जूम करके भी देख सकते
हैं और इससे ज्यादा डिस्प्ले की सेटिंग आपको अपने कंप्यूटर की होम स्क्रीन पर
मिलेगी जहां पर आप होम स्क्रीन पर जा कर राइट क्लिक करोगे तो वहां पर आपको अपने
कंप्यूटर की डिस्प्ले की सेटिंग का ऑप्शन मिलेगा और उस पर क्लिक करके और आप अपने
कंप्यूटर की डिस्प्ले की सेटिंग हो कर सकते हैं.
File Explorer Options
फाइल एक्सप्लोरर की
मदद से आप अपने कंप्यूटर के सभी फोल्डर की सेटिंग कर सकते हैं जैसे कि आप फोल्डर
को Double Click से Open करना
चाहते हैं या Single क्लिक से ओपन करना
चाहते हैं या फोल्डर को आप New Window में Open
करना चाहते हैं या उसी विंडो में Open करना चाहते हैं और इसी ऑप्शन की मदद से आप अपने कंप्यूटर की फाइल की
सेटिंग भी कर सकते हैं जैसे अगर आप किसी फोल्डर को छुपाना चाहते हैं तो इस ऑप्शन
की मदद से आप उस फोल्डर को छुपा सकते हैं या वापस दिखा सकते हैं.
इस ऑप्शन से आप अपने
कंप्यूटर की Files की भी सेटिंग कर सकते हैं जैसे कि अगर आप
किसी भी फाइल की एक्सटेंशन बदलना चाहते हैं जैसे कोई सॉन्ग डॉट MP3 है और आप नहीं चाहते कि कोई उसको सुन सके तो आप उसकी एक्सटेंशन को बदल
सकते हैं जिससे कि वह MP3 नहीं रहेगा और उसे
कोई प्ले नहीं कर पाएगा ऐसे ही अगर आप कोई भी फाइल चाहते हैं कि उसे कोई ओपन ना कर
पाए तो उस फ़ाइल की एक्सटेंशन को आप हटा दीजिए जैसे “Aapkifile.Text ” इसमें से अगर आप .Text
हटा देंगे तो ये फाइल Open नहीं होगी .
Fonts
अगर आप अपने
कंप्यूटर में फोटो एडिटिंग करते हैं या टैक्स का इस्तेमाल डिजाइनिंग के लिए करते
हैं तो आपको फोन की जानकारी होना बहुत ही जरुरी है और इस ऑप्शन में आप अपने
कंप्यूटर के सभी पोस्ट को देख सकते हैं अगर आप अपने कंप्यूटर में नए फोन इंस्टॉल
करना चाहते हैं जो भी आपको इस ऑप्शन की जरूरत पड़ेगी फोन के इस ऑप्शन में आप अपने
कंप्यूटर में कोई भी नया फोन इंस्टाल कर सकते हैं और कोई भी इंस्टॉल हुआ फोटो वापस
से डिलीट कर सकते हैं
फोंट इंस्टॉल करने
के लिए आपको सिर्फ इंटरनेट से फोंट डाउनलोड करना है अगर फोंट ZIP फाइल में डाउनलोड हुआ है तो पहले इसे एक्सट्रेक्ट कर लीजिए और इसके
अंदर . Ttf फाइल है उसके ऊपर आपको डबल क्लिक करना है
और आपको एक पॉप उप विंडो दिखेगी जिसमें आपको इंस्टॉल का ऑप्शन मिलेगा उसके ऊपर
क्लिक करते ही आपका फोन आपके कंप्यूटर में इंस्टॉल हो जाएगा और आपको यह फोन
कंट्रोल पैनल के इस Font फोल्डर में दिखाई
देगा और दूसरे तरीके से इंस्टॉल करने के लिए आप डाउनलोड किए हुए Font को सिंपली इस फोल्डर में उठा कर डालेंगे तो भी Font अपने आप इंस्टाल हो जायेगा.
Internet Options
अगर आप अपने
कंप्यूटर में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इस ऑप्शन के बारे में जानकारी
होना बहुत ही जरुरी है बहुत से लोगों को इस ऑप्शन के बारे में कोई जानकारी नहीं
होती इसीलिए वह इस आप्शन का इस्तेमाल भी नहीं कर पाते.
Internet Options में
General TAB के आप्शन Internet Explorer के लिए इस्तेमाल होती है जोकि विंडो का खुद का इंटरनेट ब्राउज़र है अगर आप विंडो का Internet Explorer
इस्तेमाल करते हैं तो आप General सेटिंग में इसकी सेटिंग कर सकते हैं जैसे की आप होम पेज में क्या ओपन
करना चाहते हैं तो होम पेज में हम Google.Com को
सेट करके रखते हैं ताकि जब भी हम होम पेज के ऊपर क्लिक करें तो Google निकल कर आए आप Google की जगह कोई
और वेबसाइट सेट कर सकते हैं.
इसके बाद में
सिक्योरिटी की टैब में आपको वेबसाइट से संबंधित कुछ और ऑप्शन मिलते हैं जैसे कि
अगर आप किसी वेबसाइट को अपने कंप्यूटर पर ब्लॉक करना चाहते हैं जिससे कि वह
वेबसाइट आपके कंप्यूटर पर ओपन नहीं होगी इसके लिए आप Restricted Sites के ऑप्शन से उस वेबसाइट को ब्लॉक कर सकते हैं.
Keyboard
कीबोर्ड की सेटिंग
में कुछ ज्यादा बदलाव करने की जरूरत नहीं पड़ती इसमें हम सिर्फ जो भी Character
लिखते हैं उनकी Repeat की
जो स्पीड है उसे हम कम या ज्यादा कर सकते हैं तो कीबोर्ड में हमें कुछ भी बदलाव
करने की जरुरत नहीं है
Language
लैंग्वेज की सेटिंग में हम अपने कंप्यूटर में अलग-अलग तरह की लैंग्वेज को ऐड कर
सकते हैं या कहें कि हम अपने कंप्यूटर में और भाषाओं को जोड़ सकते हैं अगर आप अपने
कंप्यूटर को हिंदी भाषा में देखना चाहते हैं और हिंदी भाषा में लिखना चाहते हैं तो
आपको यहां पर Add A Language के ऊपर क्लिक करना
है और हिंदी भाषा को सेलेक्ट कर लेना है और आपकी हिंदी भाषा यहां पर आ जाएगी इसी
तरह आप कोई भी दूसरी भाषा यहां पर ऐड कर सकते हैं.
Mouse
माउस कंप्यूटर की
सबसे महत्वपूर्ण डिवाइस है मां उसके बिना हम शायद कंप्यूटर को चलाने की भी नहीं
सोचते माउस के ऑप्शन में आप अपने माउस की काफी ज्यादा चैटिंग कर सकते हैं तो सबसे
पहले ही माउस में आपको बटन कॉन्फ़िगरेशन का ऑप्शन मिलता है जिससे कि आप अपने माउस
के बटन बदल सकते हैं जैसे कि अगर आप चाहते हैं कि जो काम लेफ्ट क्लिक करता है वह
काम राइट क्लिक करें और जो काम आर राइट क्लिक करता है वही काम लेफ्ट क्लिक करें तो
यह आप Switch Primary And Secondary Buttons के
ऊपर क्लिक करके कर सकते हैं.
इसके बाद में आप
अपने माउस की डबल क्लिक स्पीड को कम या ज्यादा कर सकते हैं माउस में सबसे ज्यादा
हम डबल क्लिक का इस्तेमाल करते हैं तो डबल क्लिक की स्पीड को कम या ज्यादा करने के
लिए आप Double Click Speed के ऑप्शन में इसकी
स्पीड स्लो या फास्ट कर सकते हैं यहां पर आपको 1 पॉइंट
दिया गया है जिसकी मदद से आप इसकी स्पीड को कंट्रोल कर सकते हैं.
इसके बाद में पॉइंटर
की टैब में आप अपने माउस के पॉइंटर को बदल सकते हैं उसके डिजाइन को बदल सकते हैं
लेकिन इसकी हमें ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती.
और इसके बाद में है Pointer
के कुछ ऑप्शन जहां से आप पॉइंटर की सेटिंग कर
सकते हैं माउस के पॉइंटर को हम जहां भी घूम आते हैं डिस्प्ले पर उसकी स्पीड को भी
हम कम या ज्यादा कर सकते हैं यहां पर Motion के
ऑप्शन में इसकी स्पीड Slow या Fast कर सकते हैं तो जितनी आपको फास्ट या स्लो करनी है वह आप पॉइंटर की मदद
से सेट कर सकते हैं और सेट करने के बाद मैं आपको इसे अप्लाई करना पड़ता है तभी यह
स्पीड काम करेगी
Network And Sharing Center
अगर आप अपने
कंप्यूटर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपको Network & Sharing
Center ऑप्शन के बारे में पता होना बहुत ही जरुरी है जब
आपका कंप्यूटर इंटरनेट से कनेक्ट होता है तब आप Network & Sharing
Center में उस कनेक्शन को देख सकते हैं और उसकी सारी
प्रॉपर्टी और उसकी सेटिंग भी यहां पर कर सकते हैं और यही पर हम और नेटवर्क क्रिएट
कर सकते हैं या ब्रॉडबैंड के लिए भी हम यहां से डायलॉग ऑप्शन बना सकते हैं और अगर
आपका कंप्यूटर इंटरनेट से कनेक्ट नहीं हो रहा है कोई भी दिक्कत आ रही है तो आप
यहां से प्रबल सूट भी कर सकते हैं.
आपका कंप्यूटर
इंटरनेट से कनेक्ट हो तब आपको यहां पर जो कनेक्शन दिखाई देगा उसके ऊपर क्लिक करने
से आपको उसकी सारी Detail दिखाई देगी उसकी
सारी स्पीड की जानकारी मिलेगी कितनी स्पीड से डाटा अपलोड हो रहा है और कितनी स्पीड
से डाउनलोड हो रहा है और उसी के साथ आपको उसके अंदर उसकी सेटिंग मिलेगी जहां से आप
उसकी सेटिंग को एडिट कर सकते हैं या उसे बदल सकते हैं इसीलिए आपको Network
& Sharing Center जानकारी होना बहुत ही जरुरी है
Personalization
अगर आप अपने
कंप्यूटर की थीम वॉलपेपर बदलना चाहते हैं तो आप पर्सनल-आई-जेसन ( Personalization)ऑप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं यहां पर आप अपने कंप्यूटर के डिजाईन को
बदल सकते हैं या यहां पर आप न्यू थीम अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल कर सकते हैं जिससे
की आपके कंप्यूटर का लुक एकदम बदल जाएगा और यहीं से आप अपने कंप्यूटर के जो कलर
होते हैं वह भी बदल सकते हैं और यहीं से आप अपने कंप्यूटर के जो साउंड इफेक्ट होते
हैं जैसे हम कही पर क्लिक करते हैं तब जो साउंड आती है या कोई Error आता है तब जो साउंड आती है वह सारी की सारी साउंड आप यहां से कंट्रोल
कर सकते हैं
लेकिन इस ऑप्शन को
ओपन करने के लिए आप को कंट्रोल पैनल में आने की जरूरत नहीं है आप अपने कंप्यूटर की
होम स्क्रीन पर राइट क्लिक करके और Personalization ऑप्शन
पर क्लिक करके सीधे इसकी सेटिंग में आ सकते हैं और वहीं से आप अपने कंप्यूटर की जो
भी थीम या वॉलपेपर बदल सकते हैं
Programs And Features
आपके कंप्यूटर में
जितने भी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होंगे वह सभी प्रोग्राम एंड टीचर की ऑप्शन में दिखाई
देंगे.यहां से आप उन सॉफ्टवेयर का साइज और वर्जन बड़ी ही आसानी से पता कर सकते हैं
और इसी के साथ आप उन सॉफ्टवेयर को अपने कंप्यूटर से डिलीट कर सकते हैं जो
सॉफ्टवेयर आपके कंप्यूटर में बेवजह हो जिनका आप कोई इस्तेमाल नहीं कर सकते तो
उन्हें आप अपने कंप्यूटर से हटा दीजिए ताकि आपका कंप्यूटर ज्यादा अच्छे से काम
करें
Sound
हमारे कंप्यूटर की
जितनी भी ऑडियो की सेटिंग होती है वह इस साउंड के ऑप्शन से होती है चाहे ऑडियो
हमें सुननी हो या माइक की मदद से ऑडियो कंप्यूटर में रिकॉर्ड करनी हो तो जो भी
सेटिंग होती है वह सारी साउंड के ऑप्शन में होती है तो अगर आपके हेडफोन या स्पीकर
में ऑडियो ड्राइवर के कारण आवाज नहीं आ रही तो आप इस साउंड के ऑप्शन में आ कर उसे
ठीक कर सकते हैं.
यहां से आप अपने
स्पीकर की आवाज को कंट्रोल कर सकते हैं इसी के साथ अगर आप चाहते हैं कि आपके
कंप्यूटर की Master Volume Full ही रहे और जो
सॉफ्टवेयर ऑडियो आउटपुट दे रहा है उस सॉफ्टवेयर की आवाज कम रहे तो वह भी आप यहां
से सेट कर सकते हैं और अगर आप जब रिकॉर्डिंग कर रहे हो तब माइक की आवाज कम रखनी है
तो आप यहां से अपने माइक की आवाज को भी कम या ज्यादा कर सकते हैं.
System
सिस्टम के ऑप्शन से
आप अपने कंप्यूटर की कॉन्फ़िगरेशन पता कर सकते हैं कि आपके कंप्यूटर में कौन सी
विंडो इनस्टॉल है और आपके कंप्यूटर में कितनी जीबी रैम है और इसका कौन सा प्रोसेसर
है और उस प्रोसेसर की कितनी स्पीड है तो यह सब जानकारी आपको इस सिस्टम ऑप्शन में
मिलती है तो अगर आपसे कोई यह पूछे कि आपके कंप्यूटर की क्वालिफिकेशन क्या है तो आप
यह सिस्टम ऑप्शन ओपन करके दिखा सकते हैं
Troubleshooting
ट्रबल शूटिंग विंडो
का एक ऐसा Tool है जिसकी मदद से हम विंडो में आने वाले Error
और दिक्कत को सही कर सकते हैं जैसे कि अगर आप का
कोई सॉफ्टवेयर पुराने वर्जन का है जो कि विंडो के पुराने वर्जन पर काम करता था
लेकिन अब आपने नई विंडो इंस्टॉल की है उसके ऊपर वह सॉफ्टवेयर काम नहीं करता तो आप
ट्रबल शूटिंग की मदद से वह सॉफ्टवेयर आपकी नई विंडो पर चला सकते हैं.
और इसी तरह अगर आपने
अपने कंप्यूटर में कोई नया हार्डवेयर डिवाइस कनेक्ट किया है और वह सही तरह से
कनेक्ट नहीं हो रहा है या सही तरह से काम नहीं कर रहा है तो आप ट्रबल शूटिंग की
मदद से उसे सही तरह से कनेक्ट कर सकते हैं और उसे सही तरह से काम करवा सकते हैं.
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