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(Introduction to Computers) कंप्यूटर का परिचय unit-1

कंप्‍यूटर क्‍या है - What is Computer

कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "गणना", करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्‍तु आजकल इसका use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है

Computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्‍दर डाले गये होते हैं, उसके अन्‍दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्‍यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्‍यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।

कंप्‍यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिये सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की आवश्‍यकता होती है। अगर सीधी भाषा में कहा जाये तो यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना हार्डवेयर सॉफ्टवेयर बेकार है और बिना सॉफ्टवेयर हार्डवेयर बेकार है। मतलब कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर से हार्डवेयर कमांड दी जाती है किसी हार्डवेयर को कैसे कार्य करना है उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर के अन्दर पहले से ही डाली गयी होती है। कंप्यूटर के सीपीयू से कई प्रकार के हार्डवेयर जुडे रहते हैं, इन सब के बीच तालमेल बनाकर कंप्यूटर को ठीक प्रकार से चलाने का काम करता है सिस्टम सॉफ्टवेयर यानि ऑपरेटिंग सिस्टम

कम्प्यूटर का जनक कौन है 

कम्प्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को कहा जाता है,  चार्ल्स बैबेज जन्म लंदन में हुआ था वहां की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है तो अंग्रेजी से ही कोई शब्द क्यों नहीं लिया गया इसकी वजह यह है कि जो अंग्रेजी भाषा है उसके  तकनीकी शब्द खासतौर पर प्राचीन ग्रीक भाषा और लैटिन भाषा पर आधारित है इसलिए कंप्यूटर शब्द के लिए यानी एक ऐसी मशीन के लिए जो गणना करती है उसके लिए लैटिन भाषा के शब्द कंप्यूट (Comput)  को लिया गया 


कंप्यूटर का फुल फॉर्म हिंदी में (Full form of computer in Hindi)

  • सी - आम तौर पर
  • ओ - संचालित
  • एम - मशीन
  • पी- विशेष रूप से
  • यू- प्रयुक्त
  • टी - तकनीकी
  • ई - शैक्षणिक
  • आर - अनुसंधान
कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग आमतौर पर तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के लिए किया जाता है

कंप्यूटर की फुल फॉर्म इंग्लिश में (Full form of computer in english)


Commonly Operated Machine Particularly Used in Technical and Educational Research

  • C - Commonly
  • O - Operated
  • M - Machine
  • P- Particularly
  • U- Used
  • T - Technical
  • E - Educational
  • R - Research

कंप्यूटर के भागों का नाम – Computer parts Name 

  • प्रोसेसर – Micro Processor.
  • मदर बोर्ड – Mother Board.
  • मेमोरी – Memory.
  • हार्ड डिस्क – Hard Disk Drive.
  • मॉडेम – Modem.
  • साउंड कार्ड – Sound Card.
  • मॉनिटर – Monitor.
  • की-बोर्ड माउस – Keyboard/Mouse.
Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-



कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer)


आज आप कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाते हैँ, गेम खेलते है, वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैँ और इसके अलावा ढेर सारे ऑफिस से संबंधित काम करते हैं आज कंप्यूटर का उपयोग दुनिया के हर क्षेत्र मेँ किया जा रहा है चाहे वो शिक्षा जगत हो, फिल्म जगत हो या आपका ऑफिस हो। कोई भी जगह कंप्यूटर के बिना अधूरी है आज आप कंप्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी शहर की कोई भी जानकारी सेकेण्‍डों मे प्राप्त कर सकते हैँ ये किसी दूसरे देश मेँ बैठे अपने मित्रोँ और रिश्तेदारोँ से इंटरनेट के माध्यम लाइव वीडियो कॉंफ्रेंसिंग कर सकते हैँ यह सब संभव हुआ है कंप्यूटर की वजह से। सोचिए अगर कंप्यूटर ना होता तो आज की दुनिया कैसी दिखाई देती। 


कंप्यूटर शुरुआत कहाँ से हुई ओर क्यूँ हुई ? क्या वाकई मेँ कंप्यूटर इन सभी कामाें को करने के लिये बना था या इसका आविष्कार किसी और वजह से हुआ था आइए जानते हैँ - 




मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए। 

अबेकस - 3000 वर्ष पूूूूर्व 

अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

एंटीकाईथेरा तंत्र - 2000 वर्ष पूर्व 

Antikythera असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्‍ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्‍त हुआ था, इसी कारण इसका नाम एंटीकाईथेरा सिस्‍टम पडा तभी से वैज्ञानिक इसे डिकोड करने में लगे थे और लंबे अध्ययन के बाद अब इस कंप्यूटर को डिकोड कर लिया गया है। यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है। एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया, यूनानी ने एंटीकाईथेरा सिस्टम को खगोलीय और गणितीय आकड़ो का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था

पास्‍कलाइन (Pascaline) - सन् 1642

अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इसे मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था, Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं

डिफरेंज इंजन (Difference Engine) - सन् 1822

डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया एेसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था,  इसका आविष्कार सन 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था। यह भाप से चलता था, इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

जुसे जेड - 3 - सन् 1941 

महान वैज्ञानिक "कोनार्ड जुसे" नें "Zuse-Z3" नमक एक अदभुत यंत्र का आविष्कार किया जो कि द्वि-आधारी अंकगणित की गणनाओ (Binary Arithmetic) को एवं चल बिन्दु अंकगणित गणनाओ (Floating point Arithmetic) पर आधारित सर्वप्रथम Electronic Computer था।

अनिएक - सन् 1946 

अमेरिका की एक Military Research room ने "ENIAC" मशीन जिसका अर्थ  (Electronic Numerical Integrator And Computer)  का निर्माण किया। "ENIAC"  दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें  "ENIAC"  सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई 

मैनचेस्टर स्‍माल स्‍केल मशीन (SSEM) - सन् 1948 

(SSEM) पहला ऐसा कंंम्‍यूटर था जो किसी भी प्राेग्राम को वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) में सुरक्षित रख सकता था, इसका निक नेम Baby रखा गया था, इसे बनाया था फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न ने

कंप्यूटर की विशेषता (Characteristics of Computer)


कंप्यूटर अपनी विशेषताओं के कारण मानव जीवन का अभिन्‍न अंग बन गया है हर कोई व्‍यक्ति अपने हिसाब से कंप्‍यूटर को प्रयोग में लाता है, कंप्यूटर में अनेकों विशेषता होती है आईये जानते हैं कंप्यूटर की विशेषता -Features of Computers in Hindi

कंप्यूटर की विशेषता - Features of Computers in Hindi

कंप्यूटर की पहली विशेषता गति (Speed) - 

जहां एक आपको एक छोटी सी Calculation करने में समय लगता है वहीं Computer बडी से बडी Calculation सेेकेण्‍ड से भी कम समय में कर लेता है, यह गति उसे प्रोससर से प्रदान होती है कंप्‍यूटर की गति को हर्ट्ज में मापा जाता है, कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है

कंप्यूटर की दूसरी विशेषता सटीकता (Accuracy) -

त्रुटि रहित कार्य करना यानि पूरी सटीकता (Accuracy) के साथ किसी भ्‍ाी काम का पूरा करना कंप्यूटर की दूसरी विशेषता है, कंप्‍यूटर द्वारा कभी कोई गलती नहीं की जाती है, कंप्‍यूटर हमेशा सही परिणाम देता है, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत दिया जा रहा है तो उसके प्रोग्राम में कोई गलती हो सकती है जो मानव द्वारा तैयार किये जाते हैं

कंप्यूटर की तीसरी विशेषता स्वचलित (Automation) - 

कंप्‍यूटर को एक बाद निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता है वह स्वचलित (Automation) रूप से बिना रूके कार्य करता रहता है उदाहरण के लिये जब Computer से Printer को 100 पेज प्रिंट करने की कंमाड दें तो पूरे 100 पेज प्रिंट करने बाद ही रूकेगा, इन सभ्‍ाी कार्यो को करने के लिये कंप्‍यूटर को निर्देश मिलते हैं वह उन्‍हीं के आधार पर उनको पूरा करता है यह निर्देश कंप्‍यूटर को प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर के द्वारा मिलते हैं हर काम काे करने के लिये अगल प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होता है


कंप्यूटर की चौथी विशेषता स्थायी भंडारण क्षमता (permanent Storage) :

कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएं इलेक्ट्राॅनिक तरीके से संग्रहित की जाती है, अतः सूचना के समाप्त होने की संभावना कम रहती है।

कंप्यूटर की पांंचवीं विशेषता विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) : 

कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप,सीडी राॅम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है । कम्प्यूटर में कम स्थान घेरती सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।

कंप्यूटर की छटवीं  विशेषता भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast Retrieval):

 कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रेम (RAM- Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।

कंप्यूटर की सातवीं  विशेषता जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick Decision) : 

कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता से करता है।

कंप्यूटर की आठंवी विशेषता विविधता (Versatility) : 

कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।

कंप्यूटर की नवीं विशेषता पुनरावृति (Repetition) : 

कम्प्यूटर आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।

कंप्यूटर की दसवीं  विशेषता स्फूर्ति (Agility) : 

कम्प्यूटर को एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।

कंप्यूटर की ग्‍यारहवीं विशेषता गोपनीयता (Secrecy) :

पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।

कंप्यूटर की बारहवीं विशेषता कार्य की एकरूपता (Uniformity of work) : 

बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता
 है।




कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Classification of Computer in Hindi)

कंप्यूटर का प्रत्यक्ष रूप से सीधा वर्गीकरण (Direct Classification ) करना बहुत ही मुश्किल है। कम्प्यूटर का वर्गीकरण उनके काम काज, प्रयोग , और उद्देश्यों के आधार पर किया सकता है। इसलिए कंप्यूटर का वर्गीकरण हम तीन आधार पर करते है।

1. अनुप्रयोग के आधार पर (Application)
2. उद्देश्य के आधार पर (Purpose)
3. आकर के आधार पर (Size)

(1). अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Type of Computer Based on Application)

अनुप्रयोगों के आधार पर कंप्यूटर को तीन भागो में बाटा जा सकता है
(A) एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer )
(B) डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer)
(C) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)

एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer)

इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों (दाब , तापमान , लंबाई ,आदि ) को मापकर उनको अंको में परिवर्तित करते है। ये कंप्यूटर किसी भी राशि का मापन तुलना के आधार पर करते है। जैसे की थर्मामीटर को गणना नहीं करता है। बल्कि पर के सम्बंधित प्रसार (Relative Expansion) की तुलना करके शरीर के तापमान को मापता है। एनालॉग कॉम्प्यूटर का प्रयोग मुख्य रूप से विज्ञानं और इंजीनरिंग के क्षेत्रो में किया जाता है। क्योकि इन क्षेत्रो में मात्राओ का अधिक प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के कंप्यूटर केवल अनुमानित अनुमान ही देते है।  जैसे - किसी पेट्रोल पंप पर लगा  एनालॉग कंप्यूटर पंप से निकलने वाले पेट्रोल की मात्रा को मापता है और लीटर में दिखता है। और उसके मूल्य की गणना करता है।


 डिजिटल कॉम्प्यूटर (Digital Computer)

इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जो अंको की गणना करते है जब लोग कंप्यूटर के बारे में बाते करते है तो अधिकतर डिजिटल कंप्यूटर ही केंद्र बिंदु होता है। इस श्रेणी में वो कंप्यूटर आते है जो बाजार को चलते है , घरो का बजट तैयार करते है और अन्य सभी प्रकार के वे कार्य जो कंप्यूटर पर किये जा सकते है कर सकते है। इसलिए अधिकतर कंप्यूटर डिज़िटल कंप्यूटर के श्रेणी में ही आते है। डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है।


 हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)

ये कंप्यूटर अनेक गुणों से युक्त होते है इसलिए इन्हें हाइब्रिड कंप्यूटर कहा जाता है। इन कंप्यूटर्स में एनालॉग कंप्यूटर और डिजिटल कंप्यूटर दोनों के ही गुण विधमान होते है। ये कंप्यूटर अधिक विश्वशनीय होते है। उदहारण के लिए जब कंप्यूटर की एनालॉग डिवाइस किसी रोगी के लक्षणों जैसे तापमान या रक्तचाप आदि को मापती है तो ये माप बाद में डिजिटल भागो के द्वारा अंको में बदल दी जाती है। इस प्रकार से किसी रोगी के स्वास्थ्य में आये उत्तर चढ़ाव का तुरंत सही पता चल जाता है।



(2) उद्देश्यों के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण (Type of Computers based on Purpose)

उद्देश्यों के आधार पर कंप्यूटर को हम दो भागो में बात सकते है।
(A) सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर (General Purpose Computer)
(B) विशिष्ठ उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer)

सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर (General Purpose Computer)

इन कंप्यूटर्स में अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है लेकिन ये सभी कार्य सामान्य होते है किसी विशेष प्रकार के नहीं होते है। जैसे वर्ड प्रोसेसिंग से (Word Processing) लेटर लिखना। Document तैयार करना। दस्तावेजो को छापना , डाटाबेस बनाना। इन कंप्यूटर में लगे हुए C.P.U. की क्षमता भी काम होती है। इन कंप्यूटर में हम किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए कोई स्पेशल डिवाइस नहीं जोड़ सकते है। क्योकि इन की C.P.U. की कार्यक्षमता बहुत काम होती है।  इसलिए इन्हें केवल सामान्य उद्देश्य के लिए ही उपयोग किया जा सकता है।

विशिष्ठ उद्देश्य कम्प्यूटर (Special Purpose Computer) 

इन कम्प्यूटर को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता है इन कंप्यूटर के C.P.U. की क्षमता उस उस कार्य के अनुरूप होती है। जिस कार्य के लिए इस कंप्यूटर को बनाया जाता है। अगर इन कंप्यूटर एक से ज्यादा C.P.U. की आवश्यकता होती है तो इन कंप्यूटर की रचना अनेक C.P.U. वाली कर दी जाती है। जैसे - संगीत संपादन करने के लिए स्टूडियो में लगाया जाने वाला कंप्यूटर विशिष्ट प्रकार का कंप्यूटर होता है। इस कंप्यूटर में संगीत से सम्बंधित उपकरणों को जोड़ा जा सकता है।
इसके आलावा इन कंप्यूटर का प्रयोग आने क्षेत्रो में किया जाता है जैसे - अंतरिक्ष विज्ञानं ,मौसम विज्ञानं ,युद्ध के क्षेत्र , उपग्रह संचालन में ,चिकित्सा के क्षेत्र में, भौतिक रसायन में , यातायात नियंत्रण में ,समुन्दर विज्ञानं में , कृषि विज्ञानं में , इंजीनरिंग आदि क्षेत्रो में इन कंप्यूटर का प्रोयग किया जाता है।  

(3) आकार के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण (Types of Computers based on Size) 

 आकर के आधार पर कंप्यूटर को निम्नलिखित भागो में बाटा गया है।
(A) माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)
(B) मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
(C) मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)
(D) सुपर कंप्यूटर (Super Computer)

माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)

कंप्यूटर तकनीक के क्षेत्र में 1970 के दसक में एक बहुत बड़ा अविष्कार हुआ।  ये अविष्कार था माइक्रो प्रोसेसर का इस अविष्कार के साथ ही एक सस्ती और अच्छी कंप्यूटर प्रणाली बनना सम्भव हुआ। इस प्रकार निर्मित कंप्यूटर एक डेस्क पर या एक ब्रीफकेश में भी रखा जा सकता था। इन छोटे कंप्यूटर को ही माइक्रो कंप्यूटर कहते है। माइक्रो कंप्यूटर कीमत में काम और आकर में छोटे होते है। इन कंप्यूटर को व्यक्तिगत उपयोग के लिए घर या बाहर किसी भी कार्य क्षेत्र में लगाया जा सकता है। इन कंप्यूटर्स को पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer ) या P.C. भी कहते है। माइक्रो कंप्यूटर का व्यापर में बहुत महत्व है व्यापर बड़ा हो या छोटा ये हर प्रकार के व्यापर में प्रयोग किये जाते है। छोटे व्यापार में ये किये गए कार्य का ब्यौरा रखते है , पत्र व्यवहार के लिए पत्र तैयार करता है। उपभोग्ताओ के लिए बिल बना सकते है , एकाउंटिंग में प्रयोग कर सकते है , बड़े व्यापार में Word Processing और फाइलिंग प्रणाली के संचालन में उपयोगी है। माइक्रो कंप्यूटर में एक ही C.P.U. लगा होता है। आज वर्तमान में माइक्रो कंप्यूटर का विकास बहुत तेजी से हो रहा है। जिसके परिणाम सवरूप आज माइक्रो कंप्यूटर एक पुस्कत के आकर , फोन के आकर , और यहाँ तक की एक घडी के आकर में भी आने लगे है। 

 मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)

सबसे पहला मिनी कंप्यूटर पीडीपी-८ (PDP-8) एक रेफ्रिजरेटर के आकर का था जिसकी कीमत 18000 डॉलर थी जिसे डी.ई.सी. (DEC - Digital Equipment Corporation) ने 1965 में तैयार किया था। ये कम्प्यूटर माध्यम आकर के कंप्यूटर होत्ते है। ये कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक कार्यक्षमता वाले होते है। मिनी कंप्यूटर की कीमत माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होती है। इन कंप्यूटर्स की व्यक्तिगत रूप से नहीं ख़रीदा जा सकता है। इन कंप्यूटर्स को छोटे और माध्यम आकर की कंपनिया प्रयोग में लेती है। इन कंप्यूटर पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है। मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है। इन कंप्यूटर्स के स्पीड माइक्रो कंप्यूटर से अधिक लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम होती है। माध्यम स्तर की कंपनियों में मिनी कंप्यूटर ही प्रयोग होते है। पार्टी व्यक्ति माइक्रो कंप्यूटर की अपेक्षा मिनी कंप्यूटर कंपनी में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में कार्य करता है। और इससे कंप्यूटर के संसाधनों का साझा हो जाता है। मिनी कंप्यूटर के उपयोग यातायात में यात्रियों के आरक्षण के लिए आरक्षण प्रणाली , बैंको में बैंकिंग के लिए , कर्मचारियों के वेतन के लिए पेरोल तैयार करना, वितीय खातों का रखरखाव रखना आदि। 

 मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)

मेनफ्रेम कंप्यूटर आकर में बहुत छोटे होते है। तथा इनकी भण्डारण क्षमता भी अधिक होती है। इनमे अधिक मात्रा में बहुत ही तीव्र गति से डाटा को प्रेसेस करने की क्षमता होती है। इसलिए इनका प्रयोग बड़ी कंपनियों, बैंको , सरकरी विभागों में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में किया जाता है। ये कंप्यूटर 24 घंटे कार्य कर सकते है। इन कॉम्प्यूटेस पर सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है। मेनफ्रेम कंप्यूटर को एक नेटवर्क या माइक्रो कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है। इन कंप्यूटर्स का प्रयोग विभिन्न कार्यो की लिए किया जा सकता है। जैसे - उपभोग्ताओ द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना, भुगतानों का ब्यौरा रखना , बिलो को भेजना ,नोटिस भेजना , कर्मचारियों का भुगतान करना , टेक्स का विस्तृत ब्यौरा रखना आदि। कुछ मेनफ्रेम कंप्यूटरो की नाम है - IBM 4381, ICL39 Series और  CDC Cyber Series.



सुपर कंप्यूटर (Super Computer)

ये कंप्यूटर अन्य सभी श्रेणियों के कंप्यूटर की तुलना में सबसे बड़े , सबसे अधिक संग्रह क्षमता वाले , सबसे अधिक गति वाले होते है। इन कंप्यूटर्स में अनेक C.P.U. समान्तर क्रम में कार्य करते है। इस क्रिया को Parallel Processing कहते है। सुपर कम्प्यूटर नॉन-वॉन न्यूमेन सिद्धान्त (Non-Von Neumann Concept) के आधार पर तैयार किये जाते है सुपर कंप्यूटर में अनेक ए०एल०यू० (A.L.U.), सी० पी० यू० (C.P.U.) का एक भाग होता है। इनमे प्रत्येक ALU एक निश्चित कार्य के लिए होता है। सभी ALU एक समान्तर क्रिया करते है। सुपर कंप्यूटर्स का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओ में शोध कार्यो में होता है, अंतरिक्ष यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना, मौसम की भविष्यवाणी करना, उच्च गुणवत्ता की एनीमेशन वाले चित्रो का निर्माण करना। इन सभी कार्यो में की जाने वाली गणना व प्रक्रिया जटिल व उच्चकोटि की शुद्धता वाली होती है। जिन्हें केवल सुपर कंप्यूटर ही कर सकता है। भारत के पर PARAM नाम का सुपर कंप्यूटर है। जिसे भारत के वेज्ञानिको ने भारत में ही तैयार किया है। परम कंप्यूटर का विकसित रूप PARAM-10000 है।  इसके आलावा अन्य सुपर कंप्यूटर भी है जैसे - CRAY-2, CRAY XMP-24 और NEC-500.





सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में क्या अंतर है !!


हेलो दोस्तों…आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्या होता है और साथ ही ये भी बताएंगे कि इन दोनों में क्या क्या अंतर हैं. दोस्तों आपने कंप्यूटर तो देखा ही होगा अपने जीवन में तो उसमे कुछ चीजें होती हैं जिन्हे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर कह के सम्बोधित करते हैं लेकिन कुछ लोगों को ये समझने में परेशानी होती है कि सॉफ्टवेयर कौन से होते हैं और हार्डवेयर कौन से होते हैं तो दोस्तों आज हम आपको वही बताने जा रहे हैं तो चलिए शुरू करते हैं.
सूची

सॉफ्टवेयर क्या है | What is Software in Hindi !!

सॉफ्टवेयर वो चीज होती है जिसे हम देख तो सकते हैं लेकिन छू नहीं सकते जैसे कि कंप्यूटर प्रोग्राम्स आदि. यदि आसान भाषा में समझाया जाये तो कंप्यूटर और मोबाइल की स्क्रीन पे दिखने वाले सारे एप्लीकेशन और प्रोग्राम सॉफ्टवेयर कहलाते हैं. किसी भी कंप्यूटर में जो कुछ भी स्क्रीन पे शो होता है और जिस तरह से हम उसे निर्देशित करते हैं वो सारा प्रोग्राम के जरिये होता है और वही हमे स्क्रीन पे शो होता है जिसे ही हम सॉफ्टवेयर कहते हैं.
सॉफ्टवेयर के कुछ प्रकार होते हैं जो आपको सॉफ्टवेयर को अच्छे से समझने में मदद करेंगे जैसे कि :
सिस्टम सॉफ्टवेर क्या है | System software in Hindi !!
ये वो सॉफ्टवेयर होते हैं जो कंप्यूटर को नियंत्रित करने के लिए बनाये जाते हैं. इनका प्रयोग यूजर अपने काम हेतु नहीं करता है लेकिन कंप्यूटर को चलने में इस सॉफ्टवेयर की काफी आवश्यकता होती है. इतना ही नहीं यदि सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में न हो तो कंप्यूटर एक बेजान चीज के समान है. हम ऐसे भी कह सकते हैं कि सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर की आत्मा के समान होता है. जिसके बिना कंप्यूटर बेजान हो जाता है.
उदहारण :
Windows, Linux, MacOS, MS DOS, Android

 एप्लीकेशन सॉफ्टवेर क्या है | Application software in Hindi !!

ये वो सॉफ्टवेयर होते हैं जिनका प्रयोग हम अपने काम के लिए करते हैं. हर एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का अपना काम पहले से निर्धारित होता है जैसे कि: फोटो एडिटर (जो केवल फोटो एडिट करने के लिए बनता है), वीडियो एडिटर (इसमें हम केवल वीडियो ही एडिट कर सकते हैं). इसी प्रकार सभी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर अपने अलग काम के लिए बनाये जाते हैं जिन्हे हम एप्प भी बोलते हैं. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर से तालमेल के साथ चलते हैं ये कंप्यूटर से डायरेक्ट कम्यूनिकेट नहीं करते हैं.
उदहारण :
Microsoft office, VLC media player, Chrome browser, Adobe Photoshop
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर क्या है | Utility software in Hindi !!
ये सॉफ्टवेयर सभी अन्य सॉफ्टवेयर जैसे कि सिस्टम सॉफ्टवेयर , एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर आदि को व्यवस्थित करने के लिए बनाये जाते हैं. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को सिस्टम सॉफ्टवेयर का हिस्सा माना जाता है लेकिन कोई कोई इसे अलग भी मानता है. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का सबसे श्रेष्ठ उदाहरण एंटीवायरस होता है जो वायरस को दूर करने और कंप्यूटर को अच्छे से कार्य करने हेतु सुनिश्चित बनाता है.
उदहारण :
Antivirus, Disk cleaner, Disk manager, Windows defender

हार्डवेयर क्या है | What is Hardware in Hindi !!

कंप्यूटर को चलाने के लिए जो जो उपकरण का प्रयोग होता है जिन्हे हम छू सकते हैं और देख सकते हैं हार्डवेयर कहलाते हैं. हम किसी भी प्रकार के कंप्यूटर और अन्य सिस्टम को निर्देश हार्डवेयर के द्वारा ही देते हैं सबसे पहले, उसके बाद ही सॉफ्टवेयर अपना कार्य शुरू करता है.
उदाहरण :
कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, हार्ड डिस्क, प्रोसेसर, कैमरा, मेमोरी, ग्राफ़िक्स कार्ड, मदर बोर्ड, कैबिनेट इत्यादि
Difference between Software and Hardware in Hindi
सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में क्या अंतर है !!


# सॉफ्टवेयर को केवल देखा जा सकता है जबकि हार्डवेयर को देखा व छुआ दोनों जा सकता है.
# सॉफ्टवेयर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के द्वारा बनती है जबकि हार्डवेयर प्लास्टिक, लोहे, ताबें आदि के प्रयोग से बनता है.
# सॉफ्टवेयर के प्रकार होते हैं: सिस्टम सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, यूटिलिटी सॉफ्टवेयर आदि. जबकि हार्डवेयर के प्रकार होते हैं: माउस, मॉनिटर, CPU, कीबोर्ड आदि.

# सॉफ्टवेयर के उदाहरण: Antivirus, Disk cleaner, Disk manager, Windows defender, Microsoft office, VLC media player, Chrome browser, Adobe Photoshop, Windows, Linux, MacOS, MS DOS, Android, आदि. हार्डवेयर के उदाहरण : कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, हार्ड डिस्क, प्रोसेसर, कैमरा, मेमोरी, ग्राफ़िक्स कार्ड, मदर बोर्ड, कैबिनेट इत्यादि।


सॉफ्टवेयर Computer का वह Part होता है जिसको हम केवल देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं, Software का निर्माण Computer पर कार्य करने को Simple बनाने के लिये किया जाता है, आजकल काम के हिसाब से Software का निर्माण किया जाता है, जैसा काम वैसा Software Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है।

सॉफ्टवेयर के प्रकार - Types of Software or Computer 

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं। 
सिस्‍टम सॉफ्टवेयर (system software)
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software)
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software)

सिस्‍टम सॉफ्टवेयर (system software)

सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं जो आपके कंप्‍यूटर के हार्डवेयर को Manage और Control करते हैं और इन्‍हीं की वजह से एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) कंप्‍यूटर में चल पाते हैं या आप उस पर काम कर पाते हैं सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) का सबसे सरल उदाहरण के आपका ऑपरेटिंग सिस्‍टम यानी आपकी विंडोज जो भी आप इस्‍तेमाल कर रहे होगें, संक्षेप में सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का एक समूह है, सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) के और भी कई उदाहरण हैं - 


एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software)

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो हमारे कंप्यूटर पर आधारित मुख्य कामों को करने के लिए लिखे जाते हैं । आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए भिन्न-भिन्न सॉफ्टवेयर होते हैं Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है।  एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) के कई उदाहरण हैं - 

यूटीलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) का काम कंप्‍यूटर के ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Operating System) की सर्विस/ रिपेयर करने का काम होता है साथ में यह ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Operating System) केे माध्‍‍यम से यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) कुछ हार्डवेयर की सर्विस करने का काम भी करते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता और गति को बढाया जा सके, इसमें से बहुत कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) ऑपरेंटिंग सिस्‍टम के साथ आते है और कुछ को अलग से लेना पडता है
एंटीवायरस
डिस्क डिफ्रेगमेंटर



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